भारत सरकार का एक सर्वे बताता है कि ५४ प्रतिशत महिलायं अपने पतियों से पिटने मैं कोई बुराई नहीं समझती। यह निष्कर्ष आज के दौर मैं ना सिर्फ हैरान कर्ता है बल्कि यह भी बताता है फड़ किस कामचलाऊ ढंग से यह सरकारी सर्वे किया जाते हैं। यह सर्वे बहुत प्रतिष्ठित सर्व माना जाता रहा है, लेकिन इस बार सामने आये निष्कर्ष ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिया है।
सोचने कि बात यह है कि क्या आज के दौर मैं कोई महिला यह स्वीकार कर सकती है कि वह पति कि मार खा कर खुश है, और यदि वह खुश है भी तो देश भर कि अदालतों मैं चल रहे तलाक के मामले तो कुछ और ही कहानी कहते हैं। सर्वे करने वाले ना जाने किं परिवारों मैं गए और किं महिलाओं से मिले, लेकिन इतना साफ है कि इस तरह कि तस्वीर ना तो गले उतरती है ना किसी को इससे सहमत होना चाहिय।
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