Saturday, January 5, 2008

ab phir shuru karunga

हाँ दोस्तों अब फिर लिखा करूँगा इस ब्लोग पर। बीच मैं न जाने क्यों नहीं लिख पाय, हालांकि बहुत कुछ ऐसा हुआ जिस पर लिखा जा सकता था। खैर नया साल है और नए साल का प्रण है कि अब आपको झिलाता रहूंगा।
नया साल आया और पूरी दुनिया मैं जश्न मन। जयपुर मैं सर्दी पूरे जोर पर थी इसलिय अपन तो रजाई मैं रहे और टीवी दस बोरिंग प्रोग्राम देखते हुए नए साल मैं घुसे। इन प्रोग्रामों को देखते हुए पता नहीं क्यों दूरदर्शन की याद आ गयी। उस जमाने मैं दूरदर्शन के नए साल दस प्रोग्राम का इन्तजार रहता था । हालांकि प्रोग्राम मैं दम नहीं होता था, लेकिन जब आज के इन चैनलों के प्रोग्र्मा देखतें हैं तो लगता है कि वो ही ज्यादा बेहतर थे। कम से कम कुछ सादगी और अपनापन तो लगता था। इनमें तो फूहड़ हसीं और नाच गाने के अलावा कुछ मिलता ही नहीं है। प्रोग्राम भी ऐसे जो कई बार दिखाए जा चुके हैं। इन्हें देख कर इतनी कोफ्त हुई कि जैसे ही नया साल आया मैंने टीवी बंद किया और सो गया। खुद कोप कोसा भी कि यह घटिया प्रोग्राम देखने से तो अच्छा था कि कुछ अच्छा पढ़ लेते और किसिस किताब के साथ नए साल मैं घुसते। अगले साल याद रखूँगा।