Tuesday, October 30, 2007

इतना आसान नहीं है यहाँ भी जगह बनाना

ब्लोगिंग की दुनिया मैं कदम रखे मुझे अभी ज्यादा वक़्त नहीं हुआ है, लेकिन अपने इस अल्प अनुभव ने मुझे यह बताया है कि इस दुनिया मैं मेरे जैसे कई भादासी हैं। सबका अपना रंग अपना ढंग है, इसलिय यहाँ अपनी जगह बनाना बहुत आसान नहीं है। सबसे बड़ी प्रोब्लम यह है कि जो आप लिख रहे हैं वह जयादातर स्वान्त सुखाया ही है। आपका लिखा दुसरे पढें इसके लिए मार्केटिंग करनी पड़ती है। या फिर दुसरे ब्लोग्स मैं जाकर इनके लिखे पर अपना कमेंट देना पड़ता है। ताकि अगला आपके ब्लोग पर भी आये। बहरहाल ये सब इतना बुरा भी नहीं है। भादासी के लिए इतना ही बहुत है कि वह कहीं न कहीं अपनी भड़ास निकल ले। इस लिहाज से यह जगह बुरी नहीं हां क्यूंकि यहाँ जैसे चाहो अपनी भड़ास निकली जा सकती है।

Tuesday, October 23, 2007

कथा करवा चौथ की

अब तक करवा चौथ की जो भी कथा आपने सुनी होगी उसके मुक़ाबले मेरी कथा आपको ज्यादा वास्तविक लगेगी। करवा चौथ कि शुभकामनाओं सहित यह कथा देश के सभी प्राणों के प्यारों को समर्पित है।
धन कि देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू एक दिन लक्ष्मी जी से बहुत नाराज हो गया। उसने लक्ष्मीजी से कहा कि देवी आपको तो सब पूजते हैं लेकिन हमे तो कोई पूछता ही नही है। आख़िर मैं भी कोई कम हस्ती नहीं हूँ। धन कि देवी का वाहन हूँ। लक्ष्मी जी ने कहा कि अब मैं इस बारे क्या कर सकती हूँ। उल्लू और ज्यादा रुष्ट हो गया। उसने कहा देवी आप पूरी दुनिया को अपने इशारों पे नचाती हैं और आप ही कह रह हैं कि मैं क्या कर सकती हूँ। यह अच्छी बात नहीं है। लक्ष्मी जी को लगा मामला गंभीर है। उसी दिन उन्हों ने उल्लू को आशीर्वाद दिया कि अब से मेरी पूजा से दस दिन पहले संसार कि सभी विवाहित महिलाएं तुम्हारी पूजा किया करेंगी। बताया जाता है तभी से करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है।
उम्मीद है यह कथा आपको पसंद आई होगी।

Wednesday, October 17, 2007

सिमंड्स कि ऐसी कि तैसी

ऑस्ट्रेलिया के दानवों जैसी शक्ल वाले अन्द्रेव सिमंड्स बल्ले के जोर पर इन दिनों कुछ ज्यादा ही जुबान चला रहे हैं। हमारे खिलाडियों को हाल मैं उन्हों ने मूर्ख तक कह डाला। यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया आने पर भारतीय खिलाड़ियों की हैकदी निकल देंगे।
सिमंड्स की एस बकवास अपने को तो नहीं पच रही। असल मैं इस बार २०-२० की जीत की खुमारी हमारे शरीफ और गाय जैसे खिलाड़ियों पर कुछ ज्यादा ही दिख रही थी। इस खुमारी का ही नतीजा था कि श्री संत जैसे खिलाड़ियों ने मैदान पर हावी रहने वाले ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों को उन्हीं कि जुबान मैं जवाब दे दिया। गोरी चमडी वाले इन ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों को यह हजम नहीं हो रहा। इनकी यह हरकत बताती है कि भद्र लोगों के इस खेल मैं गोरे-काले जैसी रंगभेद की प्रवृत्तियां आज भी किसी ना किसी रुप मैं जिंदा हैं।
बहरहाल ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों को अपनी तो सलाह तो यही है कि चुपचाप अपने खेल खेलें। हमारे खिलाडी जैसे भी हैं उन्हें लातियानेँ गरियाने का अधिकार सिर्फ हमारे है, आप को हमारे फटे मैं टांग अदाने की जरुरत नहीं है। टांग फंस गई तो गिर जाओगे।

Monday, October 15, 2007

इस दौर मैं ऐसा निष्कर्ष

भारत सरकार का एक सर्वे बताता है कि ५४ प्रतिशत महिलायं अपने पतियों से पिटने मैं कोई बुराई नहीं समझती। यह निष्कर्ष आज के दौर मैं ना सिर्फ हैरान कर्ता है बल्कि यह भी बताता है फड़ किस कामचलाऊ ढंग से यह सरकारी सर्वे किया जाते हैं। यह सर्वे बहुत प्रतिष्ठित सर्व माना जाता रहा है, लेकिन इस बार सामने आये निष्कर्ष ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिया है।
सोचने कि बात यह है कि क्या आज के दौर मैं कोई महिला यह स्वीकार कर सकती है कि वह पति कि मार खा कर खुश है, और यदि वह खुश है भी तो देश भर कि अदालतों मैं चल रहे तलाक के मामले तो कुछ और ही कहानी कहते हैं। सर्वे करने वाले ना जाने किं परिवारों मैं गए और किं महिलाओं से मिले, लेकिन इतना साफ है कि इस तरह कि तस्वीर ना तो गले उतरती है ना किसी को इससे सहमत होना चाहिय।

Friday, October 12, 2007

मुझे भी शामिल कीजिया इस दुनिया मैं

नमस्कार ई दुनिया के दोस्तो। आज से मैं भी आप लोगों कि दुनिया मैं कदम रख रह हूँ। बहुत कुछ होता है ऐसा जिस पर कुछ कहने का मन होता है। खुल कर भडास निकलने कि इच्छा होती है। अब ये सब मैं अपने इस ब्लोग पर करुंगा और चाहूँगा कि आप भी मेरी भडास पर अपना गुबार निकाल कर तसल्ली पायं।
तो कल से लगभग रोज मुलाक़ात होगी। झेलें, झिलायें और तसल्ली पायं।

मेरा नाम मनीष है

मेरा नाम मनीष है