कल शाम मेरा शहर जयपुर धमाकों से काँप उठा अब तक आतंकवादी नज़रों से बचा रहने वाला यह अमनपसंद शहर भी अब उन शहरों की लिस्ट मैं शामिल हो गया जो आतंकवादियों के निशानोंपर है जयपुर के बारे हम कभी सोच भी नहीं पाते थे की यहाँ कभी ऐसा भी कुछ हो सकता है दंगे का दंश यह शहर झेल चुक्स है लेकिन इसके बाद यहाँ जो कुछ हो रहा था उसे देख कर लगता था की अब लोगों की चिंता और बातों से ज्यादा अपनी जेब को लेकर है और जहाँ ऐसा होता है वहां लोगों को दंगे जैसे मामले बहुत फिजूल लगने लगते हैं
लेकिन मंगलवार को जो कुछ हुआ उसने एक दूसरा ही डर पैदा कर दिया जिसके बारे मैं सच पूछो टू यहाँ के लोगों ने ना कभी सोचा था और ना वैसी सतर्कता बरती थी इस शहर के लोगऐसे मामलों मैं बहुत ज्यादा सजग नहीं है शहर की चौराहे रात रात भर जागते रहें हैं रात के तीन बजे भी आपको इस शहर के बड़े चौर्हों पर चाय मिल जाती थी, लेकिन अब शायद यह मजार इस शहर मैं देखने को नहीं मिलेगा अब तक एक अमपसंद शहर की तरह यहाँ की सुरक्षा कर रही पुलिस अब कुछ ज्यादा सजगता बरतेगी और इस सजगता मैं इस शहरका मूल स्वाभाव खो जायगा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
सजगता, आपस में एकजुटता और जागरुक नागरिक ही आतंकवाद से लड़ सकते हैं। क्योंकि, सरकारें तो एक धमाके के बाद सो जाती हैं और दूसरे धमाके के बाद ही नींद खुलती है।
आखिर क्यो होती है ईस तरह की घटनायें।
5 जनवरी के बाद 14 मई की पोस्ट, इतना लम्बा इंतजार किया आपने दिल की बात रखने के लिये? लगातार, ज्यादा और अच्छा लिखते रहें जी… बम विस्फ़ोट करने वाले तो कायर हैं ही, लेकिन हमारी खुफ़िया व्यवस्था चरमरा चुकी है, उसका क्या?
hamari sajagta hi
hame bacha sakti hai.....
Post a Comment