Wednesday, October 15, 2008

यूँ ही चले जाना नौकरी का

हीर मंदी ने वो कर ही दिया जिसके बारे मैं कोई बात करना ही नहीं चाहता था। देश की दो बड़ी कम्पनियों ने अपने ढाई हजार लोगों को नौकरी से निकल दिया। ये वो कंपनियां हैं जिनमे नौकरी मिलना सुखद भविष्य की गारंटी माना जा रहःथा। नौकरी पाने वाले नौजवानों ने सोच भी नहीं होगा की दुनिया भर की मंदी उन पर गाज बन कर गिरेगीरिलायंस फ्रेश मैं लोगों को जरुरत नहीं होने के बावजूद सामान खरीदने का लालच देते नौजवानों ने सोचा भी नहीं होगा की एक दिन इनकी नौकरी यूँ ही चली जायगी। आख़िर तेजी से चढ़ते सेंसेक्स ने माहौल ही ऐसा बना दिया था की कोई बुरा सोचना ही नहीं चाहता था। सपनों की एक ऐसा संसार रच दिया गया की जहाँ सब कुछ चमकीला था। यह झटका एक सबक है। सबक वाही बरसों पुराना की हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। यह तो शुक्र है की नौकरी खोने वाले अभी जयादा उम्र के नहीं है। हिम्मत नहीं हारेंगे तो तो अभी भी बहुत कुछ कर लेंगे। जरुरत इस बात की है की फ़िर ऐसे ही किसी चमक से चुंधिया न जाएँ। जहाँ तक बाकी लोगों कई सवाल है उनके सामने समस्या यह है की विकल्प ही नहीं है सिवा इसके की एक बार तो उन्हें इस फेर मैं फसना ही पड़ेगा। सरकार से तो कोई उम्मीद इसलिए भी नहीं है क्योंकि वो तो ख़ुद ही अब इन कंपनियों पर निर्भर होती जा रही है। बचाना ख़ुद ही पड़ेगा।

1 comment:

Vivek Gupta said...

दोस्त हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम | मैं अमेरिका की १९२० की घटना बताता हूँ | उस समय बाज़ार इतना ख़राब था की लोग पंक्तिबद्ध होकर खाने के लिए खड़े थे एक दो नहीं बल्कि अधिकतर अमेरिकन | हम जवान हैं ये सब तो बाज़ार में होता रहेगा |